Home राज्य जम्मू कश्मीर तक़रीबन 100 घंटे बाद अनंतनाग में फायरिंग हुआ बंद, अभी खत्म नहीं हुआ सेना का ऑपरेशन

तक़रीबन 100 घंटे बाद अनंतनाग में फायरिंग हुआ बंद, अभी खत्म नहीं हुआ सेना का ऑपरेशन

तक़रीबन 100 घंटे बाद अनंतनाग में फायरिंग हुआ बंद, अभी खत्म नहीं हुआ सेना का ऑपरेशन

नई दिल्ली: अनंतनाग में सेना और आतंकियों के बीच फायरिंग फिलहाल रुक गई है. आपको बता दें कि पिछले 100 मिनट से दोनों तरफ से लगातार फायरिंग हो रही थी. सेना ने अभी भी पूरे इलाके को घेर रखा है. और सघन जांच अभियान चलाया जा रहा है.

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में सेना और आतंकियों के बीच 100 घंटे से ज्यादा समय से चल रही मुठभेड़ फिलहाल रुक गई है. करीब 100 घंटे बाद फायरिंग रोक दी गई है लेकिन सेना का ऑपरेशन अभी खत्म नहीं हुआ है. लगातार हो रही बारिश का असर सेना के सर्च ऑपरेशन पर भी पड़ा है. दरअसल, बारिश के कारण आतंकियों को छिपने का मौका मिल जाता है और तलाश करना भी मुश्किल हो जाता है. हालांकि फायरिंग रोक दी गई है, लेकिन आतंकियों पर लगातार क्वाडकॉप्टर और ड्रोन से नजर रखी जा रही है. अब आतंकियों की ओर से कोई फायरिंग नहीं की गई है.

आतंकी घने जंगल में छुपे हुए हैं

अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि सभी आतंकी मारे गए हैं, पहाड़ी की गुफा में छुपे हैं या भाग गए हैं. आतंकियों को मारने के लिए सेना हाई-एंड तकनीक का इस्तेमाल कर रही है. आपको बता दें कि इस इलाके में सेना अपना सर्च ऑपरेशन चला रही है, यह घना जंगल इलाका है. यह पूरा क्षेत्र पहाड़ियों और खाइयों से भरा हुआ है। यह क्षेत्र पीर पंजाल पहाड़ियों से जुड़ा हुआ है। सेना ने कार्रवाई वाले इलाके की घेराबंदी कर दी है यानी डेढ़ से दो किलोमीटर के इलाके को घेर लिया है.

आपको बता दें कि मंगलवार देर रात से ही सना का सर्च ऑपरेशन लगातार जारी है. हालांकि, करीब 100 घंटे बाद शनिवार रात फायरिंग रोक दी गई. मंगलवार-बुधवार की रात आतंकियों की फायरिंग में सेना के कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष और जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी हुमायूं भट्ट शहीद हो गए. इसके बाद से लगातार मुठभेड़ जारी है. आशंका है कि पहाड़ी पर बनी गुफा में लश्कर के दो से तीन आतंकी छिपे हुए हैं.

सेना के वरिष्ठ अधिकारी ऑपरेशन पर नजर बनाए हुए हैं

उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी और चिनार कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई जैसे वरिष्ठ अधिकारी आतंकियों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई पर नजर रखे हुए हैं. इन अधिकारियों ने भी मुठभेड़ स्थल का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया है. इसी साल अप्रैल में भाटादुरियां में आतंकियों ने सेना की गाड़ी पर घात लगाकर हमला किया था. इस आतंकी हमले में सेना के पांच जवान शहीद हो गए. बाद में घने जंगल और खाई का फायदा उठाकर आतंकी वहां से भाग निकले.

‘नए ट्रेंड पर चल रहे हैं आतंकी, हमें रहना होगा तैयार’

जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद्य ने कहा, ”अब एक नया ट्रेंड दिख रहा है, जो राजौरी पुंछ में दिख रहा है. आतंकी घने जंगलों का इस्तेमाल कर रहे हैं. आतंकी रिहायशी इलाकों में हमले से बच रहे हैं. पहाड़ी इलाकों और जंगलों में छिपने का ठिकाना होना चाहिए बनाया। सेना को नुकसान पहुंचाया जाए और फिर वहां से भागने की कोशिश की जाए। मुठभेड़ को तीन या चार दिनों तक बढ़ाया जाना चाहिए ताकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया इस पर नजर रख सके। मुझे लगता है कि रणनीति में बदलाव हुआ है और हम है